बिग ब्रेकिंग: यह होगा कर्नाटक में सरकार बनाने का फार्मूला ! बीजेपी को पटखनी बता दें कि कर्नाटक चुनाव में बीजेपी की ओर से पीएम मोदी, अमित शाह आदि चुनाव मैदान में थे तो कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से अकेले राहुल गांधी ने मोर्चा संभाल रखा था। पीएम मोदी ने इन चुनावों में अपना पूरा दमखम झोंक दिया था और उन्होंने कर्नाटक में ताबड़तोड़ सभाएं कीं। उधर कर्नाटक में सत्ता बचाए रखना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनती थी लेकिन ऐसा करने में असफल होते देख पार्टी ने किसी भी तरह बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने का लक्ष्य बनाया और जेडीएस की मदद से पार्टी ऐसा करने में सफल भी हुई। जोड़-तोड़ और विधायकों को तोड़ने की तमाम कोशिशों के बाद आखिर येदियुरप्पा को इस्तीफा देना पड़ा।
संगठित विपक्ष क्या दे पाएगा बीजेपी को चुनौती कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समोराह को मेगा-शो जैसा रूप देकर विपक्ष खासकर क्षेत्रीय पार्टियां अपना दमखम दिखने की तैयारी में हैं। बताया जा रहा है कि इस समारोह के लिए तमाम विपक्षी दलों को न्योता मिल रहा है। 2019 चुनाव से पहले होने वाले इस शपथ ग्रहण को विपक्षी पार्टियां अपनी ‘एकता का शो’ बनाने की तैयारी है और विपक्ष के बड़े नेता इसमें हिस्सा लेने पहुंच सकते हैं।
कर्नाटक: जोड़-तोड़ के बाद आखिर इस्तीफा देने पर क्यों मजबूर हुए येदियुरप्पा ! आएंगे विपक्ष के बड़े नेता एचडी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में जिन नेताओं को न्योता दिया गया है वह अपने-अपने प्रदेशों के सशक्त क्षत्रप हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी , बसपा नेता मायावती , समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव , आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, जम्मू कश्मीर के उम्र अब्दुल्ला और अन्य क्षेत्रीय दलों के कई नेताओं को निमंत्रित किया है। बताया जा रहा है कि एचडी कुमारस्वामी ने खुद इन नेताओं को फोन करके शपथ ग्रहण में शामिल होने का न्योता दिया है। जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को शपथ ग्रहण समारोह में आने के लिए निमंत्रण दिया गया है।
तीसरे मोर्चे के अनुकूल है माहौल ? बता दें कि कुछ दिन पहले ही ममता बनर्जी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा का मुकाबला करने के लिए संघीय मोर्चा बनाने का विचार दिया था। इन पार्टियों का मानना है कि राष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य क्षेत्रीय दलों कि राजनीति के अनुकूल है। उत्तर प्रदेश, बिहार के बाद अब कर्नाटक में क्षेत्रीय दलों का कांग्रेस के साथ आना इस बात का संकेत है कि क्षेत्रीय दल अब राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।