
नई दिल्ली। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ( Cm amarinder singh ) के बाद राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर ने भी नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा ( Navjot Singh Sidhu Resign ) मंजूर कर लिया है। अब सिद्धू पंजाब कैबिनेट ( Punjab Cabinet ) का हिस्सा नहीं हैं। सीएम अमरिंदर सिंह ने सिद्धू का इस्तीफा मंजूर करने के बाद राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर को भेजा था, जिसे राज्यपाल ने तुरंत स्वीकार कर लिया।
सिद्धू के इस्तीफे को मंजूर करने के लिए तीन से चार मंत्रियों का सीएम अमरिंदर पर लगातार दबाव बना हुआ था।
यही नहीं सिद्धू भी अपने इस्तीफे पर अड़े हुए थे। लिहाजा मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया।
राज्यपाल वीपी सिंह के इस्तीफा मंजूर कर लेने के बाद सिद्धू के विभाग को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। हालांकि अब सीएम अमरिंदर सिंह ने ये साफ नहीं किया है कि सिद्धू को सौंपा गया ऊर्जा विभाग किसे सौंपा जाएगा। फिलहास मुख्यमंत्री ने सिद्धू के पोर्टफोलियो को होल्ड कर रखा है।
5 दिन का लगा समय
सिद्धू का इस्तीफा मंजूर करना मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के लिए इतना आसान नहीं था।
नवजोत सिंह सिद्धू ने 15 जुलाई को सीएम अमरिंदर सिंह को अपना इस्तीफा भेज दिया था।
बावजूद इसके सीएम अमरिंदर को सिद्धू के इस्तीफे पर फैसला लेने में 5 दिन का समय लग गया।
छठवें दिन सिद्धू के इस्तीफे को मंजूर किया गया।
सिद्धू के इस्तीफे पर फैसला लेने में इसलिए वक्त लगा क्योंकि सिद्धू कैबिनेट में तीसरे नंबर के वरिष्ठ नेता थे।
यही नहीं सिद्धू पर सीधे आलाकमान का भी हाथ था। इनमें राहुल गांधी और प्रियंका गांधी प्रमुख रूप से शामिल हैं।
इसके अलावा सिद्धू के साथ पंजाब कैबिनेट के कुछ मंत्री भी थे। जो चाहते थे कि वे मंत्रिमंडल में बने रहें।
ऐसे में सीएम अमरिंदर सिंह को बाकी सबको राजी करने में खासी मशक्कत करनी पड़ी।
टकराए दोनों के अहम
पंजाब कांग्रेस में शामिल होते ही नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर के बीच अहम की अंदरूनी लड़ाई शुरू हो गई थी।
समय-समय पर दोनों नेताओं ने इसे अपने-अपने अंदाज में जाहिर भी किया।
कभी सिद्धू ने अपना कैप्टन राहुल गांधी को कहा तो कभी अमरिंदर ने चुनाव में मिल रही हार के लिए सिद्धू को ही पूरी तरह जिम्मेदार बताया।
बहरहाल दोनों के बीच टकराव उस वक्त खुलकर सामने आया जब लोकसभा चुनाव के बाद पंजाब कैबिनेट के फेर-बदल में 6 जून को सीएम अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू से स्थानीय निकाय विभाग वापस ले लिया था और उनको ऊर्जा विभाग सौंपा था।
इसी बदलाव को लेकर सिद्धू खफा हो गए और आलाकमान के आगे अपनी नाराजगी जाहिर भी की।
लंबी खींचतान के बाद आखिरकार सिद्धू ने पंजाब कैबिनेट से इस्तीफा देने का मन बना लिया।
सिद्धू ने 14 जुलाई को ट्विटर के जरिये अपने इस्तीफे को साझा किया था।
इसमें उन्होंने बताया कि वह 10 जून को ही अपना इस्तीफा राहुल गांधी को सौंप चुके हैं।
हालांकि सिद्धू के इस ट्वीट पर भी बवाल मचा कि आखिर उन्होंने अपना इस्तीफा राहुल गांधी को क्यों सौंपा।
प्रदेश के मुख्यमंत्री या फिर राज्यपाल को क्यों नहीं दिया।
इसके बाद सिद्धू ने 15 जुलाई को अपना इस्तीफा सीएम को भी भेज दिया।
बताया जा रहा है कि सिद्धू के इस्तीफा देने के बाद इस मामले में प्रियंका गांधी ने भी हस्तक्षेप किया लेकिन दोनों के बीच चल रही अहम की लड़ाई और सिद्धू के रवैये को देखते हुए सीएम ने इस्तीफे को मंजूर कर लिया।
अब आगे क्या?
पंजाब कैबिनेट से इस्तीफे के बाद नवजोत सिंह सिद्धू को नई जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
दरअसल कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले से ही कहते आ रहे हैं कि आलाकमान सिद्धू को केंद्रीय राजनीति से जोड़ लें।
कांग्रेस भी सिद्धू जैसे फायर ब्रांड नेता को खोना नहीं चाहती है।
लिहाजा हो सकता है कि सिद्धू को नई जिम्मेदारी के तहत केंद्रीय राजनीति से जोड़ा जाए या फिर पंजाब में ही कोई महत्वपूर्ण भूमिका दी जाए।
Updated on:
20 Jul 2019 02:45 pm
Published on:
20 Jul 2019 12:24 pm
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