अरावली की पहाड़ियों पर स्थित यह दुर्ग आमेर और जयगढ़ किले के साथ मिलकर जयपुर शहर को सुरक्षा देने के हिसाब से 1734 में सवाई राजा जयसिंह द्वितीय ने बनवाया था। यह फोर्ट शहर के लगभग हर कोने से नजर आता है। यहां रखी यह तोप एशिया में सबसे बड़ी तोप मानी जाती है। इसके आकार का अंदाजा इसी बात से लगाया जाता है कि इसके गोले से शहर से 35 किमी दूर एक गांव में तालाब बन गया था। आज भी यह तालाब मौजूद है और गांव के लोगों की प्यास बुझा रहा है। यह वही दुर्ग है जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1976 में ही खुदवा दिया था। तब कहा गया था कि मोहम्मद 285.50 एकड़ भू—भाग में फैला हुआ है। जबकि अन्य कमरे व महाविद्यालय भी इसके अंतर्गत आते हैं। आंकड़ों के अनुसार, इस विश्वविद्यलाय में 35,000 से भी ज्यादा स्टूडेंट्स हैं। इतना ही नहीं, इस विवि के 6 संघटक कालेज, 11 मान्यता प्राप्त रिसर्च सेंटर, 37 स्नातकोत्तर विभाग हैं और 305 महाविद्यालय इससे जुड़े हैं। नेशनल एसेसमेंट ऐंड एक्रीडिटेशन काउंसिल (राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद) NAAC ने इसे A+ सर्टिफिकेट भी दिया हुआ है। मुख्य द्वार को छोड़ विवि के चहुंओर उूंची चाहरी—दीवार व पेड़ और जंगल है।
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