रत्‍नागिरी पहाडि़यों के शीर्ष पर, सावित्री मंदिर को 1687 में बनाया गया था। यह प्रसिद्ध मन्दिर भगवान ब्रह्मा की त्‍यागी गईं पत्‍नी सावित्री को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि पुष्कर पहुंचने पर देवी सावित्री ने इसी पहाड़ी पर विश्राम किया था। यह भी कहा जाता है कि पुष्कर पहुँचने पर देवी सावित्री ने अपने पति के साथ पूजा में बैठने से इंकार कर दिया था, क्यूंकि उन्होंने पहले ही एक स्थानीय ग्वालिन कन्या, गायत्री, से विवाह कर लिया था। यह सावित्री मंदिर पहाडियों के शीर्ष पर, ब्रह्मा जी के मंदिर के ठीक पीछे स्थित है। यहाँ तक पहुंचने का रास्‍ता पहाड़ियों से होकर जाता है और मन्दिर तक पहुंचने के लिए लगभग एक घंटे का समय लग जाता है। मन्दिर से पुष्कर झील का सुरम्‍य दृश्‍य दिखाई पड़ता है और ग्राम का शानदार नजारा देखने को मिलता है।
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