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Ahmedabad Plane Crash: राजस्थान के मयंक ने बताया खौफनाक मंजर, बोला- अगर ऐसा नहीं होता तो मेरी लाश भी वहीं पड़ी होती…

Ahmedabad Plane Crash: एयर इंडिया विमान हादसे की दहशत अब भी लोगों के जेहन से नहीं गई है। ऐसा ही चश्मदीद है कोटा निवासी मेडिकल स्टूडेंट मयंक सेन। आंखों देखा मंजर बताते-बताते मयंक के होठ अब भी कांपने लगते हैं।

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Photo- Ani

Ahmedabad Plane Crash: अहमदाबाद में एयर इंडिया के विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस दुखद घटना पर हर कोई शोक जता रहा है। विमान में सवार 242 लोगों में से 241 की मौत हो गई है। केवल एक व्यक्ति बच पाया है, जिसका अस्पताल में इलाज चल रहा है। इस हादसे में राजस्थान के भी 13 लोगों की मौत हो गई। इन मृतकों में से 12 लोग विमान में सवार थे। वहीं ​एक मृतक मेडिकल स्टूडेंट था।

एयर इंडिया विमान हादसे की दहशत अब भी लोगों के जेहन से नहीं गई है। ऐसा ही एक चश्मदीद है कोटा निवासी मेडिकल स्टूडेंट मयंक सेन। आंखों देखा मंजर बताते-बताते मयंक के होठ अब भी कांपने लगते हैं। पत्रिका डॉट कॉम से बातचीत में मयंक ने बताया कि जिस समय हादसा हुआ वह हादसा स्थल से सिर्फ 300 मीटर दूर था।

मयंक ने बताया कि वह हर दिन की तरह उस दिन भी वह हॉस्पिटल की मॉर्निंग शिफ्ट निपटाकर खाना खाने निकला था लेकिन उस दिन वह हर दिन की जगह 1 बजे ही खाना खाकर हॉस्टल लौट आया। तभी… बीस मिनट बाद… एक जोरदार धमाके की आवाज ने सबको हिला दिया।

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मच गई थी चीख-पुकार

मयंक ने बताया कि जोरदार धमाके की आवाज सुनते ही उन्होंने हॉस्टल के कमरे की खिड़की से बाहर देखा तो आसमान में काले धुएं का एक बड़ा गुबार उठ रहा था। पहले तो कुछ समझ नहीं आया लेकिन फिर शोर बढ़ता गया। लोगों की चीखें सुनाई दी तो दिल बैठने लगा। घटनास्थल की तरफ बढ़ा तो वहां का मंजर देख रोंगटे खड़े हो गए।

आग की लपटें अब भी भड़क रही थीं। वहां से उठती गर्मी चेहरे को झुलसा रही थी। चीखें, पुकार, बदहवास लोग और बीच में मलबे में दबे कई लोग। हादसे का मंजर देखकर आंखें भर आईं। उन्होंने बताया कि जब वह करीब पहुंचे तो कुछ दोस्त दिखाई दिए, जिनके शरीर पहचानने मुश्किल थे। कुछ के कपड़े जलकर उनके शरीर पर चिपक गए थे।

समझ ही नहीं पाया कि किसे उठाऊं, किसे ढूंढूं, आगे क्या करू। जैसे-तैसे खुद को संभाला और पापा को फोन लगाया। कांपती आवाज में सिर्फ इतना कहा- पापा, मैं बच गया, 20 मिनट पहले यदि यहां से निकला नहीं होता तो शायद मैं भी आज इस दुनिया में नहीं होता।'

आंखें बंद करते ही वही मंजर सामने आ जाता है

मयंक के मुताबिक, जिस मेस में वे रोजाना खाना खाते थे वहां दोपहर 1:30 से 2 बजे तक सबसे ज्यादा भीड़ होती है। उसी दिन उन्होंने कुछ जल्दी लंच कर लिया था और यही उनके लिए भाग्यशाली बन गया। जो दोस्त मेरे साथ खाना खा रहे थे, उनमें से कई अब लापता हैं, वहीं कुछ तो मलबे में मृत मिले।

बस यही सोच-सोचकर कांप उठता हूं कि अगर उस दिन रोज की तरह 1:30 बजे पहुंचा होता, तो शायद मेरी भी लाश वहां पड़ी होती…" हादसे के बाद मयंक के दिमाग में बार-बार वहीं हादसा आ रहा है। आंखें बंद करते ही वही तस्वीरें, जलते शरीर और चीखते लोग दिख रहे हैं।

पिता बोले- ईश्वर का लाख-लाख धन्यवाद

कोटा के दीगोद निवासी और व्यापार संघ अध्यक्ष किशन सेन कहते हैं कि जब बेटे का फोन आया और उसने कहा कि मैं ठीक हूं… मैं समझ नहीं पाया कि उसे क्या हुआ है। लेकिन जब उसने बताया कि वो हादसे से बस 20 मिनट पहले निकला था, तो मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई।

उन्होंने कहा कि हादसे में बेटे के कई दोस्त जान गंवा बैठे। ईश्वर का लाख-लाख धन्यवाद है कि मेरा बेटा बच गया, लेकिन जिन परिवारों ने अपने बच्चे खो दिए… उनके दर्द की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

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