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हवा में जंग, जमीन से वार, INDIA के एयर डिफेंस स्ट्रैटेजी की इनसाइड स्टोरी

India Air defense system: भारत की वायु रक्षा प्रणाली रडार, मिसाइल, इंटरसेप्टर और स्पेस नेटवर्क से लैस एक हाईटेक ढाल है, जो दुश्मन के हर हवाई खतरे को हवा में ही नष्ट कर देती है।

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India Air Defense: जब पाकिस्तान की ओर से पश्चिमी सीमा पर ड्रोन हमलों और एयर स्पेस में घुसपैठ की घटनाएं बढ़ीं, तब भारत ने अपनी हाईटेक एयर डिफेंस सिस्टम को सक्रिय कर दिया। भारतीय सेना ने जहां सीमा पार ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे जवाबी हमलों से आतंक के अड्डों को तबाह किया, वहीं आकाश में सुरक्षा की परतें इतनी मजबूत थीं कि दुश्मन की कोई भी चाल काम नहीं आई।भारत ने आधुनिक मिसाइल रक्षा प्रणाली और रडार नेटवर्क की मदद से सुरक्षा की ऐसी दिवारी खड़ी की है, जो अंतरिक्ष में भी दुश्मन की मिसाइलों को ट्रैक कर सकती है और ज़मीन से उसे ध्वस्त कर सकती है।

कैसे काम करती है भारत की वायु रक्षा प्रणाली?

1-पहचान (Detection by Radar):
एडवांस रडार 600 किमी दूर से दुश्मन के मिसाइल, ड्रोन या एयरक्राफ्ट की पहचान कर लेते हैं. यह डाटा नियंत्रण कक्षों (C&C) को भेजा जाता है.

2-विश्लेषण और समन्वय (Command & Control):
एक साथ कई स्रोतों से मिले डेटा का विश्लेषण करके यह तय किया जाता है कि कौन सा इंटरसेप्टर या मिसाइल एक्टिवेट हो.कुछ सिस्टम स्वचालित रूप से निर्णय लेते हैं.

3-लॉन्च और इंटरसेप्शन:
मिसाइलें या इंटरसेप्टर लॉन्च किए जाते हैं जो हवा में ही टारगेट को नष्ट कर देते हैं.ये हाई-G टर्न और माक 4+ स्पीड से हमले को रोकने में सक्षम हैं.

भारत के प्रमुख एयर डिफेंस हथियार

SPYDER एक त्वरित प्रतिक्रिया वाली एयर डिफेंस प्रणाली है, जो Python और Derby मिसाइलों के कॉम्बिनेशन पर आधारित है। इसकी अधिकतम रेंज लगभग 15 किलोमीटर है और यह खासतौर पर कम ऊँचाई पर उड़ने वाले लक्ष्यों को निशाना बनाने में सक्षम है। यह सिस्टम दुश्मन के लड़ाकू विमान जैसे JF-17, ड्रोन और क्रूज़ मिसाइल जैसे खतरों को तेजी से ट्रैक और नष्ट कर सकता है। इसकी त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता इसे सीमावर्ती क्षेत्रों में अत्यधिक उपयोगी बनाती है, जहाँ समय पर प्रतिक्रिया अत्यंत आवश्यक होती है।

S-400, जिसे भारतीय सैन्य रणनीति में 'सुदर्शन चक्र' के नाम से जाना जाता है, एक अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम है जिसकी मारक क्षमता 400 किलोमीटर तक है। यह प्रणाली एक साथ 36 लक्ष्यों को ट्रैक और नष्ट करने की क्षमता रखती है, जिससे यह भारत की वायु सुरक्षा के लिए एक बेहद शक्तिशाली ढाल बन जाती है। S-400 की खासियत यह है कि यह F-16 और JF-17 जैसे फाइटर जेट्स, बाबर क्रूज़ मिसाइल जैसी लंबी दूरी की मिसाइलों और कुछ बैलिस्टिक मिसाइलों को भी निशाना बनाकर हवा में ही खत्म कर सकती है। इसकी उच्च सटीकता और लंबी रेंज इसे भारत की वायु रक्षा रणनीति में एक निर्णायक हथियार बनाती है।

ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस की संयुक्त परियोजना है, जो विश्व की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों में से एक मानी जाती है। इसकी मारक क्षमता 290 से 450 किलोमीटर तक है, जो इसे दुश्मन के महत्वपूर्ण ठिकानों पर गहराई तक सटीक हमला करने में सक्षम बनाती है। यह मिसाइल "सी-स्किमिंग" और "टेरेन-हगिंग" तकनीकों का उपयोग करती है, जिससे यह बहुत कम ऊँचाई पर उड़ते हुए दुश्मन के रडार की पकड़ में आए बिना लक्ष्य को भेद सकती है। ब्रह्मोस विशेष रूप से पाकिस्तान की नौसेना के ठिकानों जैसे रणनीतिक समुद्री लक्ष्यों को निशाना बनाने में बेहद प्रभावी है। इसकी सटीकता, गति और कम ऊंचाई पर उड़ने की क्षमता इसे भारत की वायु और समुद्री रक्षा रणनीति का एक घातक हथियार बनाती है।

Barak-8 एक अत्याधुनिक मिसाइल प्रणाली है जिसकी रेंज 70 से 100 किमी तक है। यह समुद्री और स्थलीय प्लेटफार्मों से लॉन्च की जा सकती है और सुपरसोनिक गति से दुश्मन के टारगेट को ट्रैक करने में सक्षम है। वहीं, SPYDER (Python और Derby मिसाइल का कॉम्बिनेशन) एक त्वरित प्रतिक्रिया वाला सिस्टम है, जिसकी रेंज 15 किमी तक है। यह कम ऊँचाई पर उड़ने वाले टारगेट जैसे JF-17, ड्रोन और क्रूज़ मिसाइल को प्रभावी रूप से नष्ट करने में कारगर है। दोनों प्रणालियाँ भारत की वायु रक्षा क्षमता को मजबूती प्रदान करती हैं, जिससे सीमाओं पर सुरक्षा में काफी सुधार हुआ है।

आकाश मिसाइल सिस्टम भारत का स्वदेशी रूप से विकसित मध्यम दूरी का सतह से हवा में मार करने वाला हथियार है, जिसकी रेंज 25 से 30 किलोमीटर तक है। यह प्रणाली एक साथ 12 लक्ष्यों को ट्रैक कर उन्हें नष्ट करने की क्षमता रखती है, जिससे यह भीड़भाड़ वाले या उच्च खतरों वाले हवाई हमलों के समय अत्यधिक प्रभावी बन जाती है। आकाश मिसाइल प्रणाली इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर के दौरान भी प्रभावशाली प्रदर्शन करती है, यानी यह दुश्मन द्वारा रेडार और संचार प्रणाली को बाधित करने की कोशिशों के बावजूद अपने लक्ष्य को भेदने में सक्षम है। इसकी उच्च गतिशीलता और त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता इसे भारत की वायु रक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनाती है।

क्यों ज़रूरी है यह सुरक्षा कवच?

पाकिस्तान जैसे देश जब ड्रोन स्वार्म, क्रूज़ मिसाइल और लड़ाकू जेट से भारतीय सीमा की ओर बढ़ते हैं, तब एक मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम ही वह दीवार बनती है जो देश की संप्रभुता को सुरक्षित रखती है। भारत की ये व्यवस्था न सिर्फ आज के खतरों का सामना करती है, बल्कि भविष्य में संभावित परमाणु या बैलिस्टिक मिसाइल हमलों से भी देश को बचा सकती है।

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भारत की वायु रक्षा प्रणाली अब सिर्फ मिसाइल रोकने तक सीमित नहीं है। यह अब एक रणनीतिक ढाल बन चुकी है — जिसमें स्पेस, रडार, इंटरसेप्टर, और सुपरसोनिक हथियारों का ऐसा संगठित नेटवर्क है, जो हर दुश्मन की चाल को हवा में ही खत्म कर देता है।

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