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केंद्र सरकार से कच्चतीवू वापस लेने का एकमत में अनुरोध

तमिलनाडु विधानसभा (TN Assembly) ने सर्वसम्मति से पारित किया प्रस्ताव  तमिलनाडु विधानसभा (TN Assembly) ने बुधवार को सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से भारत-श्रीलंका समझौते की समीक्षा करने और कच्चतीवू टापू को वापस लेने के लिए तत्काल कदम उठाने का अनुरोध किया है। प्रस्ताव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से श्रीलंका की अपनी आगामी यात्रा के दौरान […]

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TN CM in Assembly

तमिलनाडु विधानसभा (TN Assembly) ने सर्वसम्मति से पारित किया प्रस्ताव

तमिलनाडु विधानसभा (TN Assembly) ने बुधवार को सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से भारत-श्रीलंका समझौते की समीक्षा करने और कच्चतीवू टापू को वापस लेने के लिए तत्काल कदम उठाने का अनुरोध किया है। प्रस्ताव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से श्रीलंका की अपनी आगामी यात्रा के दौरान कैद भारतीय मछुआरों और उनकी नावों की रिहाई के लिए पड़ोसी सरकार से बातचीत करने का भी आह्वान हुआ है।यह प्रस्ताव मोदी की श्रीलंका की आधिकारिक यात्रा से कुछ दिन पहले आया है, जिससे मांग में तात्कालिकता की भावना जुड़ गई है। हालांकि विपक्षी दलों अन्नाद्रमुक और भाजपा ने कच्चतीवू मुद्दे पर डीएमके सरकार के नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने पर आश्चर्य जताया लेकिन उन्होंने भी प्रस्ताव को अपना पूरा समर्थन दिया।

सीएम ने पेश किया प्रस्ताव

प्रस्ताव पेश करने से पहले, मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (MK Stalin) ने केंद्र सरकार से बार-बार अपील करने के बावजूद श्रीलंकाई नौसेना द्वारा तमिलनाडु के मछुआरों की लगातार गिरफ्तारी, नाव जब्त करने और उन पर जुर्माना लगाने पर गहरी चिंता व्यक्त की।राज्यसभा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर के हालिया बयान का हवाला देते हुए स्टालिन ने कहा कि श्रीलंका में वर्तमान में 97 भारतीय मछुआरे कैद हैं। अकेले 2024 में 530 गिरफ्तारियां दर्ज की गई हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या अन्य राज्यों के मछुआरों के साथ भी ऐसा ही व्यवहार बर्दाश्त किया जाएगा, उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की कार्रवाई न करने के लिए आलोचना की।

कच्चतीवू अधिग्रहण ही स्थाई समाधान

स्टालिन ने जोर देकर कहा कि तमिलनाडु के मछुआरे भारतीय नागरिक हैं और उनकी दुर्दशा का एकमात्र स्थाई समाधान कच्चतीवू को फिर से प्राप्त करना है। 1974 के भारत-श्रीलंका समझौते पर आलोचनाओं को संबोधित करते हुए, जिससे यह टापू श्रीलंका को सौंप दिया, मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार पर गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि तत्कालीन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि ने समझौते का कड़ा विरोध किया था। जयललिता और ओ. पन्नीरसेल्वम के नेतृत्व वाली अन्नाद्रमुक सरकारों सहित लगातार सभी राज्य सरकारों ने भी कच्चतीवू को वापस पाने की मांग करते हुए प्रस्ताव पारित किए हैं। स्टालिन ने विधानसभा को सूचित किया कि इस मसले पर उन्होंने प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री को 74 पत्र लिखे हैं।

ध्वनिमत से पारित प्रस्ताव

संकल्प में कहा गया है, “कच्चतीवू की वापसी तमिलनाडु के मछुआरों के पारंपरिक मछली पकड़ने के अधिकारों की रक्षा करने और श्रीलंकाई नौसेना की कार्रवाइयों के कारण उनकी पीड़ा को कम करने का एकमात्र स्थाई समाधान है।” इसमें केंद्र सरकार से भारत-श्रीलंका समझौते की तत्काल समीक्षा करने और टापू को वापस पाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया गया है। सभी नेताओं के विचार व्यक्त करने के बाद स्पीकर एम. अप्पावु ने ध्वनिमत से इसे पारित कर दिया।

इन सदस्यों ने रखे विचार

प्रस्ताव के समर्थन में टी. वेलमुरुगन (टीवीके), ई.आर. ईश्वरन (केएमडीके), टी. सदन तिरुमलैकुमार (एमडीएमके), एस.एस. बालाजी (वीसीके), वानती श्रीनिवासन (भाजपा), टी. रामचंद्रन (सीपीआइ), वी.पी. नागैमाली (सीपीएम), पी. अब्दुल समद (एमएमके), जी.के. मणि (पीएमके), के. सेल्वापेरुन्थगै (कांग्रेस) और विपक्ष के नेता एडपाड़ी के. पलनीस्वामी ने विचार रखे।

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