ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर में स्थित बराही मंदिर के पीछे कई किवंदितयां हैं। यहां बराही के साथ-साथ भगवान हनुमान और शिव के मंदिर भी हैं। साथ ही एक तालाब है। मान्‍यता है क‍ि इसमें नहाने से चर्म रोग दूर होते हैं। कहा जाता है क‍ि रावण के दादा पुलस्तय ऋषि और रावण के पिता विश्रवा ऋषि भी इसी बराही मंदिर में पूजा किया करते थे और यहीं शिव भगवान ने उन्हें दर्शन दिए थे। प्राचीन काल से ही यहां हर साल बराही मेले का आयोजन होता है। मेले के दौरान देश के कोने-कोने की संस्कृति की झलक दिखाई देती है। <strong>ऐसे हुआ मंदिर स्थापित</strong> पुलस्तय ऋषि ने प्राचीन काल में इस मंदिर में पूजा की थी। वहीं लोगों को वराह और बराही ने दर्शन दिए थे। बताया जाता है कि पृथ्वी को नाश से बचाने की वजह से लोगों ने वराह और बराही माता की पूजा करनी शुरू कर दी थी। बाद में पुलस्तय ऋषि ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। यह शिवलिंग आज भी विराजमान है। वहीं, रावण के पिता विश्रवा ऋषि के स्थापित शिवलिंग भी बिसरख गांव में विराजमान हैं। <strong>किवंदितयां</strong> रावण के दादा पुलस्तय ऋषि ने शिवलिंग की स्थापना कर पूजा-अर्चना की थी। वहीं, पुलस्तय ऋषि के बेटे विश्रवा ने बराही मंदिर में तप किया था। कहा जाता है क‍ि भगवान शिव ने दर्शन देकर उन्हें कुल पुरोहित बनाया था। उसी किवंदितयों के अनुसार, प्राचीन काल से ही यहां बराही मेले का आयोजन किया जा रहा है। माना जाता है कि जो भी इस मंदिर में मन्नत मांगता है, उसकी पूरी हो जाती है। <strong>प्रसिद्धि</strong> बताया जाता है कि प्राचीन काल में पृथ्वी पर हाहाकार मचा हुआ था। व्याकुल लोगों ने भगवान वराह की पूजा की थी। लोगों को दर्शन देकर वराह उनकी माता बराही ने पृथ्वी को नाश से बचाया था। यहां तीन मंदिर हैं। इनमें एक वराह और उनकी माता बराही का, दूसरा शिव और तीसरा हनुमान जी का मंदिर है। <strong>कैसे पहुंचें</strong> दिल्ली की तरफ से आने वाले लोग सेक्टर-37 से सूरजपुर आ सकते हैं। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के जरिए परीचौक आइए, जहां से सूरजपुर आसानी से पहुंचा जा सकता है।
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