ब्रिटिश रेजीडेंसी, लखनऊ के सबसे महत्‍वपूर्ण ऐतिहासिक स्‍थलों में से एक है। रेजीडेंसी में कई इमारतें शामिल हैं। इसका निर्माण नवाब आसफ-उद- दौला ने 1775 में शुरू करवाया था और "1780-1800 में नवाब सआदत अली खान के शासन के दौरान इसका निर्माण ब्रिटिश निवासियों के लिए किया गया था। इसके परिक्षेत्र में आवासीय क्वार्टर, शस्त्रागार, अस्तबल, औषधालयों, पूजा स्थानों सहित कई इमारतों की श्रंखला है।" ब्रिटिश रेजीडेंसी, लखनऊ में गोमती नदी के तट पर स्थित है। रेजीडेंसी के नाम से ही स्‍पष्‍ट है कि यह एक निवास स्‍थान है। यहां ब्रिटिश निवासी जनरल का निवास स्‍थान था, जो नवाबों की अदालत में ब्रिटिश सरकार का प्रतिनिधित्‍व किया करते थे। इस पूरे परिसर ने भारत की आजादी की पहली लड़ाई में लखनऊ के प्रसिद्ध घेराबंदी में एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ब्रिटिश रेजीडेंसी का एक प्रमुख हिस्‍सा अंग्रेजी बलों और भारतीय विद्रोहियों के बीच की लड़ाई में नष्‍ट हो गया था। युद्ध के बाद इसे जस का तस छोड़ दिया गया। ब्रिटिश रेजीडेंसी की टूटी - फूटी दीवारों में आज भी तोप के गोलों के निशान बने हुए हैं। इस परिसर में एक खंडहर चर्च भी है जहां एक कब्रिस्‍तान है जिसमें लगभग 2000 अंग्रेज सैनिकों, आदमियों, औरतों और बच्‍चों की कब्र बनी हुई है। ब्रिटिश रेजीडेंसी में हर शाम को यहां के इतिहास पर प्रकाश ड़ाला जाता है। रेजीडेंसी परिसर में 1857 मेमोरियल म्‍यूजियम भी स्‍थापित किया गया है। जहां 1857 में हुई भारत की आजादी की पहली क्रांति को बखूबी चित्रित किया गया है। "ब्रिटिश रेजीडेंसी लखनऊ" लखनऊ: नवाब शहर 1 जुलाई 2016 को पुनः प्राप्त"1857 मेमोरियल संग्रहालय, रेसिडेन्सी, लखनऊ"। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण 1 जुलाई 2016 को पुनः प्राप्त
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