संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission (UPSC) - यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन), भारत के संविधान द्वारा स्थापित एक संवैधानिक निकाय है जो भारत सरकार के लोकसेवा के पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए परीक्षाओं का संचालन करती है। संविधान के अनुच्छेद 315-323 में एक संघीय लोक सेवा आयोग और राज्यों के लिए राज्य लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान है। <strong>इतिहास</strong> इसके संस्थापन का आरम्भ उन दिनों हुआ जब सन 1919 में तत्कालीन अंग्रेजी शासकों ने भारत के लिए स्वायत्त शासन की आवश्यकता स्वीकार की। 5 March, 1919 के भारतीय वैधानिक सुधार विषयक प्रथम प्रेषणा-पत्र में कहा गया था। सन 1919 के भारतीय शासन विधान में इस भावना की व्यावहारिक अभिव्यक्ति मिलती है। उसमें एक सार्वजनिक सेवा आयोग की स्थापना का विधान भी था। सन 1923 में, लॉर्ड ली के नेतृत्व में, एक रॉयल कमिशन नियुक्त हुआ, जिसको भारत उच्च सेवाओं के ऊपर विचार एवं विवरण प्रस्तुत करना था। सन 1935 के भारतीय विधान के परिच्छेद 266 में, उपर्युक्त प्रस्तावों को स्थाई रूप दिया गया। उसमें लोक सेवा आयोगों के कर्त्तव्यों को स्पष्ट रूप से निर्धारित कर दिया गया। यह कहा जा सकता है कि उक्त विधान के द्वारा ही आयोगों की अंतिम एवं स्थायी रूप में रचना की गई थी। आज के केंद्रीय अथवा राज्यों के आयोग का संगठन, रूप एवं आधार, सब उसी पर अवलंबित हैं। <strong>सदस्य</strong> आयोग के सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त होते हैं। कम से कम आधे सदस्य किसी लोक सेवा के सदस्य (कार्यरत या अवकाश प्राप्त) होते हैं जो न्यूनतम 10 वर्षों के अनुभव प्राप्त हों। इनका कार्यकाल 6 वर्षों या 65 वर्ष की उम्र (जो भी पहले आए) तक का होता है। ये कभी भी अपना इस्तीफ़ा राष्ट्रपति को दे सकते हैं। इससे पहले राष्ट्रपति इन्हें पद की अवमानना या अवैध कार्यों में लिप्त होने के लिए बर्ख़ास्त कर सकता है।
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