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कोरोना के इलाज की आड़ में मरीजों के लिए जरूरी ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन को कमाई का जरिया बनाने वाले चिकित्सक और अस्पताल का खेल खत्म किया गया है। सीएमएचओ मनीष शर्मा ने बताया मैक्स केयर अस्पताल झांसी रोड, मुरार में श्रद्धानर्सिंग होम और हॅास्पिटल रोड पर लोटस अस्पताल में खेल धड़ल्ले से चल रहा था। मैक्स केयर अस्पताल के बारे में शिकायत की मिली थी कि यहां अस्पताल प्रबंधन को रेमडेसिविर इंजेक्शन मुहैया कराए जा रहे थे उसके बावजूद अस्पताल में भर्ती मरीजों के साथ इंजेक्शन और ऑक्सीजन खरीदने के लिए बाध्य किया जा रहा था। यही खेल श्रद्धा नर्सिंग होम में चल रहा था। वहां भी मरीजों के लिए मुहैया इंजेक्शन और ऑक्सीजन की कालाबाजारी हो रही थी।
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लोटस अस्पताल मेे हो चुका है महिला से रेप का प्रयास
लोटस अस्पताल में भी मरीजों की जान से खिलवाड़ का धंधा इसी तर्ज पर चल रहा था। यहां तो कोविड की महिला मरीज के साथ हैवानियत तक हुई। अस्पताल के कर्मचारी ने महिला मरीज के साथ रेप का प्रयास किया। इलाज के बजाय कालाबाजारी का खेल सामने आने पर मैक्स केयर, श्रद्धा नर्सिंग होम और लोटस अस्पताल के पंजीयन लाइसेंस निरस्त किए गए हैं। इन अस्पतालों में भर्ती मरीजों को दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट कर इन अस्पतालों का संचालन बंद किया जा रहा है।
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महिला चिकित्सक पर एफआइआर
कोविड मरीज को रेमेडेसिविर इंजेक्शन का उपचार लिखने में मां शीतला मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल की महिला चिकित्सक डॉक्टर दिव्या रानी शर्मा कानूनी जद में आ गई है। दरअसल डाक्टर शर्मा ने कोविड मरीज आरिफ खां को रेमडेसिविर इंजेक्शन प्रसक्राइब किया था, जबकि डॉ शर्मा दंत चिकित्सक हैं। ड्रग और कैमिस्ट एक्ट के तहत आने वाली दवाओं को वह उपचार के लिए नहीं दे सकती। आरटीआइ एक्टिविस्ट आशीष चतुर्वेदी ने महिला चिकित्सक दिव्या रानी शर्मा की शिकायत की थी। जांच में डाक्टर शर्मा की गलती पाई गई है। इसलिए औषधि निरीक्षक से उन पर एफआइआर दर्ज कराने के लिए कहा गया है।
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सिम्स, बिरला सहित अस्पतालों का रिकॉर्ड खंगाला जाएगा
व्हिसिल ब्लोअर आशीष चतुर्वेदी ने कलेक्टर से शिकायत की थी कि सिम्स, बिरला सहित शहर के दूसरे कई अस्पतालों में रेमडेसिविर इंजेक्शन कोरोना मरीजों के लिए प्रशासन के जरिए मुहैया कराए जा रहे हैं। उसके बावजूद वहां भर्ती मरीजों को इंजेक्शन नहीं मिल रहे हैं। अस्पताल इंजेक्शन की जमाखोरी सिर्फ मुनाफे के लिए कर रहे हैं। इन अस्पतालों की जांच की जाए तो रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का खुलासा हो सकता है। शिकायत पर सीएमएचओ शर्मा ने औषधी निरीक्षक को निर्देश दिए हैं कि इन अस्पतालों का रिकॉर्ड चैक कर पता लगाया जाए कि अस्पतालों को कुल कितने इंजेक्शन दिए गए हैं और कितने मरीजों को इंजेक्शन लगाए गए हैं।