
Operation Sindoor: सीजफायर या संघर्ष विराम एक ऐसा समझौता है, जिसमें युद्धरत पक्ष आपसी सहमति से लड़ाई को अस्थायी या स्थायी रूप से रोकते हैं। इसका उद्देश्य शांति स्थापना, मानवीय राहत पहुंचाना या कूटनीतिक बातचीत का मार्ग प्रशस्त करना होता है। भारत-पाकिस्तान जैसी परिस्थितियों में यह नियंत्रण रेखा (LoC) पर नागरिकों की सुरक्षा और तनाव कम करने के लिए बेहद अहम है। उदाहरण के तौर पर भारत और पाकिस्तान ने 10 मई 2025 को एलओसी पर औपचारिक संघर्षविराम लागू किया था।
अस्थायी युद्धविराम – सीमित अवधि के लिए, जैसे मानवीय सहायता के लिए।
अनिश्चितकालीन युद्धविराम – बिना तय समयसीमा के, जिसे बदला जा सकता है।
स्थायी युद्धविराम – दीर्घकालिक शांति के लिए, अक्सर शांति संधि का हिस्सा।
–युद्ध या तनाव को नियंत्रित करने के लिए।
–सीमावर्ती नागरिकों की जान-माल की रक्षा के लिए।
–घायलों तक राहत व चिकित्सा पहुंचाने के लिए।
–कूटनीतिक बातचीत का माहौल बनाने के लिए।
–अंतरराष्ट्रीय दबाव या मध्यस्थता के तहत।
–युद्ध करने वाले देश सैन्य या कूटनीतिक स्तर पर बातचीत करते हैं। भारत-पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक (DGMO) हॉटलाइन से चर्चा इसका उदाहरण है।
–दोनों पक्ष अवधि, दायरा (थल, जल, वायु), निगरानी पद्धति आदि पर सहमति बनाते हैं।
–आधिकारिक घोषणा के जरिए तारीख और समय तय होता है।
–निगरानी के लिए सेना, ड्रोन, सेंसर या तटस्थ पर्यवेक्षक नियुक्त होते हैं।
–दोनों पक्ष गोलीबारी, सैन्य तैनाती या आक्रामक कार्रवाई रोकते हैं।
–अविश्वास या गलतफहमी से उल्लंघन हो सकता है।
–निगरानी तंत्र की कमजोरी से समझौता भंग हो सकता है।
–घरेलू या सैन्य दबाव से कुछ पक्ष संघर्षविराम तोड़ सकते हैं।
वर्ष 2000 से अब तक भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) पर संघर्ष विराम (सीज़फायर) उल्लंघनों की संख्या में समय के साथ वृद्धि देखी गई है। 2003 में दोनों देशों ने औपचारिक संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके बाद प्रारंभिक वर्षों में उल्लंघनों की संख्या कम रही।
2004-2006: इन वर्षों में संघर्ष विराम का उल्लंघन बहुत काम बार ही रहा।
2007-2012: इस अवधि में उल्लंघनों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ी, जिसमें 2007 में 21 और 2012 में 114 उल्लंघन दर्ज किए गए।
2013: इस वर्ष 347 उल्लंघन हुए, जो पिछले वर्षों की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि थी।
2014-2016: 2014 में 153, 2015 में 152 और 2016 में 228 उल्लंघन दर्ज किए गए।
2017: इस वर्ष 860 उल्लंघन हुए, जो पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक थे।
2018: 2,140 उल्लंघन दर्ज किए गए, जिसमें 61 लोग मारे गए और 250 से अधिक घायल हुए।
2019: 3,289 उल्लंघन हुए, जिसमें 21 भारतीय नागरिकों की मृत्यु हुई।
2020: 5,100 उल्लंघन हुए, जो 2003 के समझौते के बाद सबसे अधिक थे, जिसमें 36 लोगों की मृत्यु हुई और 130 से अधिक घायल हुए।
2021: 25 फरवरी को दोनों देशों ने संघर्ष विराम का सख्ती से पालन करने पर सहमति जताई, जिसके बाद उल्लंघनों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई।
2022-2023: इन वर्षों में संघर्ष विराम का पालन अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण रहा, और उल्लंघनों की संख्या में कमी देखी गई।
2024 में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम उल्लंघनों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। पाकिस्तान ने 2024 में 300 से अधिक बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया।
2025 की पहली तिमाही में यह संख्या 50 तक पहुँच गई। अप्रैल-मई में पहलगाम आतंकी हमले के बाद तनाव बढ़ा और 24 अप्रैल से 5 मई के बीच पाकिस्तान द्वारा लगातार 12 रातों तक संघर्ष विराम का उल्लंघन किया गया। 10 मई, 2025 को शाम 5 बजे से समझौता हुआ और 3 घंटे बाद ही पाकिस्तान ने की दगाबाजी।
स्रोत: पीआईबी,रक्षा मंत्रालय, वर्ल्ड वाइड वॉर, साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल, रॉयटर्स, लोकसभा प्रश्नोत्तर, UNMOGIP रिपोर्ट (2024-2025)
Updated on:
12 May 2025 11:09 am
Published on:
12 May 2025 06:52 am
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