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ऑपरेशन सिंदूर का इनाम! DGMO राजीव घई का प्रमोशन, सरकार ने दी अब ये बड़ी जिम्मेदारी

Lt Gen Rajiv Ghai: भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल और डीजीएमओ राजीव घई को प्रमोशन दिया गया है। लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई पहलगाम आतंकी हमले के दौरान भारतीय सेना का चेहरा बनकर सामने आए थे।

Lt Gen Rajiv Ghai (Image Courtesy - IANS)

Lt Gen Rajiv Ghai: भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को बड़ा प्रमोशन मिला है। उन्हें अब डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सुरक्षा) नियुक्त किया गया है। लेफ्टिनेंट जनरल घई की नियुक्ति ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद हुई है, जिसमें भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को नष्ट किया था। बताया जा रहा है कि यह प्रमोशन उनकी कार्यक्षमता और रणनीतिक नेतृत्व को देखते हुए दिया गया है। प्रमोशन के बाद भी वे मौजूदा जिम्मेदारी यानी डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) के पद पर बने रहेंगे।

क्या है इस पद का महत्व?

भारतीय सेना में डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ एक अत्यंत महत्वपूर्ण पद होता है। यह सेना प्रमुख के बाद दूसरी सबसे वरिष्ठ जिम्मेदारी मानी जाती है। इस पद पर बैठा अधिकारी सैन्य संचालन, रणनीति निर्माण, प्रशासनिक प्रबंधन और रक्षा मंत्रालय के साथ तालमेल जैसे कार्यों को अंजाम देता है। डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सुरक्षा) को सेना के सभी ऑपरेशनल वर्टिकल्स रिपोर्ट करते हैं, जिससे यह पद सामरिक दृष्टि से बेहद अहम हो जाता है।

पहलगाम हमले में निभाई थी प्रमुख भूमिका

लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई पहलगाम आतंकी हमले के दौरान भारतीय सेना का चेहरा बनकर सामने आए थे। उन्होंने नियमित ब्रीफिंग के जरिए हालात की जानकारी दी थी। उस समय पाकिस्तान के DGMO ने भी घई से संपर्क कर सेना की जवाबी कार्रवाई रोकने का अनुरोध किया था।

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कितनी बढ़ेगी सैलरी?

सातवें वेतन आयोग के अनुसार, DGMO जैसे वरिष्ठ पद पर कार्यरत अधिकारियों की बेसिक सैलरी 1,82,200 रुपये से 2,24,100 रुपये प्रतिमाह तक होती है। प्रमोशन के बाद डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ की सैलरी 2,25,000 रुपये प्रतिमाह निर्धारित होती है, जो एक तय सीमा है। हालांकि, इसमें विभिन्न भत्तों को मिलाकर कुल सैलरी 2.5 लाख रुपये से 3 लाख रुपये प्रति माह तक हो सकती है।

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अनुभव और योगदान

राजीव घई श्रीनगर स्थित चिनार कोर (15वीं कोर) के कमांडर रह चुके हैं और उनके नेतृत्व में कई सफल ऑपरेशन हुए। उनकी रणनीतिक सूझबूझ और ऑपरेशनल नेतृत्व के कारण ही उन्हें यह महत्वपूर्ण प्रमोशन दिया गया है। यह नियुक्ति भारतीय सेना की संरचना में संतुलन और दक्षता बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।