मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल और भोपाल की शान यहां का बड़ा तालाब। भोपाल का बड़ा तालाब एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के पश्चिमी हिस्से में स्थित ये तालाब शहर के लोगों के लिए पीने के पानी का प्रमुख स्रोत है। भोपाल की लगभग 40 प्रतिशत जनसंख्या को बड़ा तालाब के माध्यम से लगभग तीस मिलियन गैलन पानी हर रोज दिया जाता है। भौगोलिक स्थितिमध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल, बड़े तालाब के पूर्वी छोर पर बसी हुई है। बड़ा तालाब का कुल क्षेत्रफल 31 वर्ग किमी है, जिसमें लगभग 361 वर्ग किमी इलाके से पानी एकत्रित किया जाता है। इस तालाब से लगने वाला अधिकतर हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र था, लेकिन अब समय के साथ कुछ शहरी इलाके भी इसके नज़दीक बस चुके हैं। इतिहास इस विशाल तालाब का निर्माण 11 शताब्दी में किया गया। इस तालाब के आसपास ही भोपाल शहर की बसाहट शुरू हुई। बड़े तालाब से जुड़ी हुई एक अन्य झील है, जिसे छोटा तालाब कहा जाता है। माना जाता है कि इन दोनों ही झीलों को झीलों को केन्द्र में रखकर भोपाल का निर्माण किया गया। इतिहासकारों के अनुसार बड़ा तालाब का नाम भोजताल था, जिसे परमारकालीन राजा भोज के द्वारा सन् 1005 से सन् 1055 के बीच बनवाया गया। वहीं एक पौराणिक कथा के अनुसार भोजताल बनाने का उद्देश्य यह था की राजा भोज चर्म रोग से ग्रसित हो गए थे। जब कई वैद्य और डॉक्टर राजा भोज को ठीक ना कर पाए, तब एक संत ने राजा को एक तालाब बनवाने को कहा। संत का कहना था कि तालाब ऐसा होना चाहिए जिसमें 365 सहायकनदियों का पानी हो। उसमें नहाने से राजा का चर्म रोग ठीक हो जाएगा। राजा भोज ने अपने राज्य के इंजीनियरों से एक तालाब बनाने को कहा। इसके बाद भोपाल से 32 किमी दूर से बहने वाली बेतवा नदी के पानी से तालाब बनाने का विचार किया गया। इसके बाद समस्या आई कि बेतवा की कुल 359 सहायक नदियां ही थीं। तब एक गोंड सेना अध्यक्ष काली ने बताया कि इस क्षेत्र से कुछ अदृश्य नदियां या भूमिगत नदियां भी बहती हैं, जिन्हें जोड़ने से कुल नदियों की संख्या 365 हो सकती है। इस प्रकार कुल नदियों की संख्या 365 हो गई और तालाब का निर्माण कार्य शुरू हुआ। बड़े तालाब के माध्यम से व्यवसायबड़े तालाब में मछलियाँ पकड़ने के लिए भोपाल नगर निगम द्वारा मछुआरों की सहकारी समिति को एक बड़ा इलाका मछली पकड़ने के लिए दिया गया है। इस समिति में लगभग 500 मछुआरे हैं जो कि अपने जीविकोपार्जन के लिए तालाब के दक्षिण-पूर्वी हिस्से से मछलियाँ पकड़ते हैं। झील के माध्यम से बड़ी मात्रा में सिंचाई भी की जाती है। झील के आसपास लगे हुए 87 गाँव और सीहोर जिले के भी कुछ गाँव के खेतों में झील के पानी से सिंचाई की जाती है। बड़ा तालाब स्थानीय और बाहरी पर्यटकों के लिए एक दर्शनीय पर्यटन स्थल भी है। इसकी विशालता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसके एक छोर पर खड़े होने के बाद दूसरा छोर नहीं दिखाई देता। यहाँ पर स्थित बोट क्लब पर भारत का पहला राष्ट्रीय सेलिंग क्लब भी स्थापित किया गया है। इस क्लब के माध्यम से कायाकिंग, कैनोइंग, राफ़्टिंग, वाटर स्कीइंग और पैरासेलिंग आदि खेलों का आयोजन किया जाता है। बड़े तालाब के दक्षिणी हिस्से में स्थापित वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भी पर्यटकों के आकर्षण का एक और केन्द्र है। जैव विविधतायहां पर जैव-विविधता के कई रंग देखने को मिलते हैं। वनस्पति और विभिन्न जल आधारित प्राणियों की मौजूदगी यहां पर उनके जीवन और वृद्धि के लिये एक आदर्श स्थल मानी जा सकती है। हर साल यहाँ पक्षियों की लगभग 20,000 प्रजातियाँ देखी जा सकती हैं। इनमें व्हाइट स्टार्क, काले गले वाले सारस, हंस आदि प्रमुख हैं। यहां कुछ विलुप्तप्राय प्रजाति के जीव भी दिखाई देते हैं। हाल ही में यहां पर विशालतम पक्षी सारस क्रेन को भी देखा गया है, जो कि कई क्षेत्रों में विलुप्त हो चुका है। मछली के विभिन्न प्रकारों की 43 प्रजातियों समेत कछुए और अन्य जीव-जन्तुओं की कई प्रजातियाँ यहां पर आसानी से मिल जाती हैं। ---------------------------------------------------------------------------------- upper lake of bhopal, bhopal upper lake, upper lake in bhopal, bhopal upper lake images, bhopal upper lake history, bhopal upper lake tourism, bhopal upper lake boat club, boat club in bhopal upper lake, bhopal upper lake bird watching, fishing in bhopal upper lake, bhopal upper lake news in hindi, bhopal upper lake news, van vihar bhopal upper lake
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