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उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जनपद  में  धार्मिक और पौराणिक स्थलों की कमी नहीं हैं, लेकिन इन धार्मिक स्थानों में खनवार देवी मंदिर का अपना विशेष स्थान है। 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाना खनवार मंदिर के बारे में कहा जाता है कि देवी दुर्गा थावे जाते समय यहां विश्राम की थी। कुशीनगर  जिले में आने वाले लोग खनवार मंदिर में  सिंहासिनी भवानी मां  दर्शन कर उनका आर्शीवाद लेना नहीं भूलते. मान्यता है कि मां  यहां आने वाले श्रद्धालुओं की  सभी मनोकामनाएं पूरा करती हैं. मान्यता है कि रहसु भगत के आह्वान पर कामाख्या से थावे जाते समय देवी मां कुछ देर खनवार में विश्राम कीं थी।     कुशीनगर जिला मुख्यालय से करीब 14 किलोमीटर दूर कुबेरस्थान  जाने वाले मार्ग पर खनवार नाम का एक स्थान है। जहां खनवार देवी मां का एक प्राचीन मंदिर है। मां खनवार वाली को सिंहासिनी भवानी, थावे वाली भवानी और रहसु भवानी के नाम से भी भक्तजन पुकारते हैं। वैसे  यहां हर समय मां के भक्त आते रहते हैं, परंतु शारदीय नवरात्र और चैत्र नवारात्रि के समय यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगती है। मान्यता है कि मां अपने भक्त रहसु के बुलावे पर असम के कमाख्या स्थान से थावे जाते समय देवी यहां थोड़ी देर विश्राम रीं थीं। कहा जाता है कि देवी मां कामख्या से चलकर कोलकाता (काली के रूप में दक्षिणेश्वर में प्रतिष्ठित), पटना (यहां मां पटन देवी के नाम से जानी गई), आमी (छपरा जिला में मां दुर्गा का एक प्रसिद्ध स्थान) होते हुए थावे पहुंची थीं। थावे पहुंचने से पहले मां खनवार में कुछ देर रूक कर विश्राम कीं थी और फिर थावे जाकर रहसु के मस्तक को विभाजित करते हुए साक्षात दर्शन दी थीं।