मेरठ में मेडिकल कॉलेज के सामने की रोड पर जागृत‍ि विहार में स्थित मंशा देवी मंदिर केवल जिले ही नहीं बल्कि आसपास के कई राज्‍यों में प्रसिद्ध है। माना जाता है क‍ि यहां मांगी गई मन्‍नत पूरी होती है। नवरात्र में यहां काफी भीड़ रहती है। <strong>एेसे हुआ मंदिर स्थापित</strong> 1917 में मंगलौर (रुड़की) के राम गिरि अपने साथ कुछ धनराशि लेकर मेरठ आए थे। यहां उन्‍होंने पत्थरवाले सेठ के यहां नौकरी की आैर गढ़ रोड पर कुछ जमीन खरीदी। इसी जमीन पर यहां छोटा-सा मिट्टी का मठ बना था, जिसमें मिट्टी की मूर्ति रखी थी। वह पूजा-पाठी थे तो अधिकतर समय यहांं पूजा-हवन किया करते थे। यहां तब चारों आेर जंगल था, तो इस मठ पर गंदगी न हो, इसके लिए उन्होंने इसके चारों ओर मिट्टी की दीवार बनाकर इसको सुरक्षित किया। इसके बाद उन्होंने अपनी जमीन पर सब्जी व फल उगाए। उन दिनों डिग्गी क्षेत्र में पशुआें की पैठ लगती थी तो व्यापारी पास ही काजीपुर सराय में रुकते थे आैर डिग्गी जाते थे। वे इधर भी आते थे आैर सब्जी व फल खरीदकर ले जाते थे। इसके बाद लोग यहां पिकनिक के तौर पर आने लगे आैर मिट्टी की मूर्ति के दर्शन करके भी जाते। बताया जाता है क‍ि उनकी मन की इच्छा पूरी होने लगी तो वे बार-बार आने लगे। <strong>किवदंती</strong> रावण हिमालय से तपस्या करके देवी शक्ति सााथ लाए थे। उन्हें यह शक्ति बीच रास्ते में नहीं रखनी थी। रावण को जब लघुशंका आई तो उन्होंने मूर्ति एक ग्रामीण को पकड़ा दी। रावण के हाथ से निकलते ही देवी शक्ति यहां स्थापित हो गर्इ। उस समय जंगल ही जंगल थे। यह शक्ति मां मंशा देवी के नाम से लोक में प्रसिद्ध हुर्इ। <strong>प्रसिद्धि</strong> 1964 में आई एक हिंदी फिल्म में यहां मिट्टी की मंशा देवी की मूर्ति का जिक्र है। उसके बाद से इस मंदिर की प्रसिद्धि बढ़ती चली गर्इ आैर हर साल मेरठ के आसपास व अन्य राज्यों से लाखों लोग यहां आते हैं आैर मां के दर्शन करते हैं। <strong>एेसे सुनती हैं देवी</strong> मंदिर के पुजारी के अनुसार मां मंशा देवी की मूर्ति के सामने आंखें बंद न करें। बगैर पलक झपके अपनी मनोकामना बोलकर हाथ जोड़ें। साथ ही लौंग का जोड़ा, पान, सुपारी, नारियल व बताशे से पूजा करें। सच्चे मन से मांगने पर मां मनोकामना जरूर पूरी करती हैं। लोग मनोकामना पूरी करने के बाद यहां भंडारा भी करवाते हैं। यहां देवी को अलग-अलग दिन के रंग के हिसाब से वस्त्र पहनाए जाते हैं। <strong>विशेष</strong> मेरठ व आसपास के क्षेत्र में सेना की भर्ती में शामिल होने वाले युवक यहां जरूर आते हैं। साथ ही बाॅर्डर पर ड्यूटी करने वाले सैनिक वहां से लौटकर यहां भंडारा करते हैं। अपनी जाॅब, कलेश या अन्य मनोकामना लोग सच्चे मन से मां मन्शा देवी से करते हैं, तो देवी उनकी मनोकामना जरूर पूरी करती हैं। <strong>कैसे पहुंचें </strong> दिल्‍ली से मेरठ की दूरी करीब 70 किमी है। यहां तक दिल्‍ली से कई ट्रेनेें मिलती हैं। इसके अलावा बस से भी यहां पहुंचा जा सकता है। स्‍टेशन या बस अड्डे से मंदिर करीब 10 किमी पड़ता है। वहां से ऑटो रिक्‍शा या सिटी बस सबसे बेहतर साधन होगा।
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