पाकिस्तान (Pakistan) के लिए बलूचिस्तान (Balochistan) गले की फांस बन चुका है। बलूचिस्तान के ज़्यादातर निवासी खुद को पाकिस्तान का हिस्सा नहीं मानते। बलूचों के दिल और दिमाग में पाकिस्तानी सरकार और सेना के प्रति नफरत है। समय-समय पर बलूच अलगाववादी पाकिस्तानी सेना और पुलिस को निशाना बनाते हैं। हाल ही में बलूच नेता मीर यार बलूच ((Mir Yar Baloch)) ने बलूचिस्तान की आज़ादी का ऐलान करते हुए कहा कि बलूचिस्तान, पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है। इसके साथ ही मीर ने खुद को बलूचिस्तान का पहला राष्ट्रपति भी घोषित किया। महरंग बलूच (Mahrang Baloch) समेत अन्य बलूच मानवाधिकार कार्यकर्ता और नेता भी पाकिस्तान के खिलाफ जंग में खड़े हुए हैं। बलूचिस्तान की आज़ादी की घोषणा के बाद बलूच नेता दुनियाभर से मान्यता और समर्थन की मांग कर रहे हैं।
बलूचिस्तान के नेता चाहते हैं कि दुनियाभर के देश उन्हें एक अलग देश के तौर पर मान्यता और समर्थन दे। बलूच नेता चाहते हैं कि डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ बलूचिस्तान को आज़ाद देश के रूप में मान्यता देने के साथ ही मुद्रा, पासपोर्ट, और अन्य संसाधनों के लिए अंतर्राष्ट्रीय समर्थन दिया जाए। हालांकि पहले समर्थन की बात करें, तो बलूच नेता चाहते हैं कि भारत, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ बलूचिस्तान को आज़ाद देश के रूप में मान्यता देने वाला पहला देश बने। बलूच नेताओं ने भारत में दूतावास खोलने की मांग भी की है। बलूच नेता मीर सोशल मीडिया पर भारत-बलूचिस्तान की दोस्ती, भारत से समर्थन और भारत के प्रति अपने प्रेम को सोशल मीडिया पर जमकर दिखा रहे हैं।
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बलूचिस्तान सबसे पहले भारत से ही समर्थन क्यों चाहता है? मन में यह सवाल आना स्वाभाविक है। इसकी मुख्य वजह है भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव। दोनों देशों के बीच लंबे समय से चला आ रहा तनाव किसी से भी छिपा नहीं है। हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terrorist Attack) और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) की वजह से दोनों देशों के बीच तनाव और ज़्यादा बढ़ गया है और युद्ध जैसे हालात भी पैदा हो गए। हालांकि भारत ने पाकिस्तान को धूल चटा दी। इसी वजह से बलूच नेता चाहते हैं कि सबसे पहले भारत ही डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ बलूचिस्तान को मान्यता दे, जिससे बलूच अलगाववादियों और नेताओं द्वारा पाकिस्तान को दिए जख्मों पर नमक लगाया जा सके।
कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहा विवाद जगजाहिर है। पाकिस्तान समय-समय पर कश्मीर मुद्दा उठाता रहता है। बलूच नेताओं ने खुलकर कश्मीर मुद्दे पर भारत का समर्थन किया है और कहा है कि पाकिस्तान को पीओके को खाली कर देना चाहिए। ऐसे में अगर भारत बलूचिस्तान को मान्यता दे देता है, तो इससे न सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान पर दबाव पड़ेगा, बल्कि भारत को देखते हुए अन्य देश भी बलूचिस्तान को मान्यता दे सकते हैं।
बलूचिस्तान को मान्यता देकर भारत पाकिस्तान और बलूचिस्तान के बीच भड़की चिंगारी को हवा दे सकता है जिससे पाकिस्तान का ध्यान भारत से हटेगा और बलूचिस्तान पर लग जाएगा, जिससे बलूचिस्तान में भड़की आज़ादी की चिंगारी से पाकिस्तान की चिंता बढ़ जाएगी। रणनीतिक रूप से यह भारत का पाकिस्तान के खिलाफ एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। इसकी वजह है बलूचिस्तान की आज़ादी से पाकिस्तान की भौगोलिक और आर्थिक स्थिति का कमज़ोर होना। इससे पाकिस्तान की क्षेत्रीय स्थिति को बड़ी बड़ा झटका लगेगा। आज़ाद बलूचिस्तान, भारत के चाबहार पोर्ट परियोजना को और मज़बूत कर सकता है। इतना ही नहीं, आज़ाद बलूचिस्तान से भारत की अरब सागर में मज़बूती भी बढ़ेगी जिससे पाकिस्तान के साथ ही चीन की भी चिंता बढ़ेगी।
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Updated on:
16 May 2025 04:31 pm
Published on:
16 May 2025 04:30 pm