
नेपाल में Gen-Z के विरोध प्रदर्शन के दौरान वाहन में आग (फोटो: ANI.)
Nepal Gen-Z Protest: नेपाल में बीते कुछ हफ्तों से चल रहे जनरेशन-Z आंदोलन (Nepal Gen-Z Protest) ने अब गंभीर रूप ले लिया है। राजधानी काठमांडू समेत देश के कई हिस्सों में हिंसा, आगजनी और झड़पों के बीच अब तक 51 लोगों की मौत हो चुकी है। इस बढ़ते राजनीतिक और सामाजिक संकट (Nepal Social Media Ban) को देखते हुए नेपाल की संसद के दोनों सदनों ने एक संयुक्त बयान जारी कर स्थिति पर चिंता जताई है। नेपाल की प्रतिनिधि सभा और नेशनल असेंबली (Nepal Parliament Crisis) के अध्यक्षों ने हिंसक विरोध प्रदर्शनों में मारे गए नागरिकों और पुलिसकर्मियों के लिए गहरी संवेदना व्यक्त की है। साथ ही घायलों के जल्द ठीक होने की कामना करते हुए सरकार से बेहतर इलाज सुनिश्चित करने की मांग की गई है। बयान में कहा गया कि विरोध प्रदर्शन के दौरान संघीय संसद भवन, सिंह दरबार स्थित सचिवालय, सरकारी दफ्तरों, निजी संपत्तियों और ऐतिहासिक दस्तावेजों को जो नुकसान पहुंचा, वह देश के लिए अपूरणीय है।
नेपाल सरकार ने स्थिति को संभालने के लिए कर्फ्यू लागू किया है। काठमांडू समेत कई प्रमुख शहरों में नेपाली सेना की तैनाती की गई है। शुक्रवार को शाम 5 बजे तक कर्फ्यू लागू रहा और शनिवार को फिर से शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे तक लागू किया जाएगा।
इस आंदोलन की शुरुआत 8 सितंबर 2025 को तब हुई जब सरकार ने कर और साइबर सुरक्षा का हवाला देकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया। इसके बाद जनता, खासकर युवा वर्ग ने सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ आवाज़ बुलंद की।
"नेपो बेबीज़" जैसे ट्रेंड्स ने आग में घी डालने का काम किया। सोशल मीडिया पर नेताओं के बच्चों की ऐशो-आराम वाली ज़िंदगी की तस्वीरें वायरल हुईं, जिससे आम जनता और शासक वर्ग के बीच की आर्थिक असमानता सामने आ गई।
राजनीतिक अनिश्चितता के बीच आज काठमांडू में राष्ट्रपति कार्यालय शीतल निवास पर अहम बैठक होने जा रही है। इस बैठक में पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने पर चर्चा की जाएगी।
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद, जेन-जेड आंदोलन के नेताओं ने कार्की को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। काठमांडू के मेयर बालेन्द्र शाह 'बालेन' समेत कई प्रमुख चेहरे भी उनके समर्थन में उतर आए हैं।
विरोध कर रहे युवाओं की मांग है कि:
संस्थागत भ्रष्टाचार को खत्म किया जाए।
निर्णय प्रक्रिया पारदर्शी और जवाबदेह हो।
सोशल मीडिया बैन तुरंत हटाया जाए।
अंतरिम सरकार बनाकर निष्पक्ष चुनाव कराए जाएं।
बहरहाल नेपाल इस समय एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है। जेनरेशन-Z का यह विद्रोह सिर्फ सोशल मीडिया बैन के खिलाफ नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार, पक्षपात और असमानता के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई बन गया है। सवाल यह है कि क्या सरकार इस आवाज़ को दबाएगी या लोकतंत्र को नया रास्ता देगी ?
( इनपुट क्रेडिट: एएनआई)
Published on:
12 Sept 2025 04:36 pm
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