
Rahu Ketu Rashi Parivartan: राहु केतु राशि परिवर्तन
Rahu Ketu Rashi Parivartan: राहु केतु दोनों को ही छाया ग्रह ही माना जाता है, इसके पड़ने वाले प्रभाव कई बार विध्वंसकारी (Rahu Ketu Gochar) होते हैं। इसी कारण लोगों पर इनको लेकर भय रहता है, अब 18 मई 2025 को राहु केतु राशि परिवर्तन करने वाले हैं तो आइये जानते हैं इसका क्या प्रभाव होगा ..
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार जब भी राहु-केतु का राशि परिवर्तन होता है, तब इसका प्रभाव सभी मनुष्यों और देश-दुनिया पर दिखता है। राहु-केतु के गोचर से कई तरह के प्राकृतिक उथल-पुथल होने की संभावना रहती है। पृथ्वी पर गर्मी का प्रकोप बढ़ जाता है और वर्षा भी कम होती है। अप्रैल से सितंबर के बीच कुछ बड़ी प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़-भूस्खलन से जन धन की हानि हो सकती हैं।
देश-दुनिया में राजनीति अपने चरम पर होती है। एक-दूसरे देशों में तनाव काफी बढ़ जाता है। राजनीति के क्षेत्र में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। रोग बढ़ जाते हैं जिससे जनता का हाल बुरा हो जाता है। जनता में तनाव बढ़ सकता है। झूठी बातें ज्यादा तेजी से फैलेंगी।
जनता को त्वचा रोगों का सामना करना पड़ सकता है। किसानों की फसलों पर टिड्डियों और अन्य कीटों का आक्रमण हो सकता है। किसानों को अतिरिक्त सावधानी रखनी होगी। खाने-पीने की वस्तुंओं की कमी तथा उनकी कीमतों में वृद्धि ।
पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों के बढ़ने के बाद जरूरी उपभोगता वस्तुओं के मूल्यों में भी इजाफा होने से जनता परेशान होगी। दुनियाभर में गेहूं तथा अन्य अनाजों की कीमतों में वृद्धि होगी। कुछ देशों में अन्न की कमी से कानून-व्यवस्था को लेकर भी संकट की स्थिति पैदा होगी। खडी फसलों को नुक्सान हो सकता है। स्टॉक मार्केट में उथल-पुथल मच सकती है।
भारत में अप्रैल से सितंबर तक का समय सत्ताधारी दल के बड़े नेताओं और अधिकारियों की सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील है। बड़े नेताओं के संदर्भ में कुछ अप्रिय घटनाएं सामने आ सकती हैंl
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार ज्योतिष शास्त्र में राहु को अशुभ ग्रह माना गया है। हालांकि अन्य ग्रहों की तुलना में (केतु को छोड़कर) इसका कोई वास्तविक आकार नहीं है, जिसके कारण ही इसे छाया ग्रह कहा जाता है। स्वभाव के अनुसार राहु को पापी ग्रह की संज्ञा दी गई है। लेकिन ज्योतिष शास्त्र की मानें तो कोई भी ग्रह शुभ अशुभ नहीं होता है, बल्कि उसका फल शुभ अशुभ होता है।
यदि कुंडली कोई ग्रह मजबूत स्थिति में होता है तो वह शुभ फल देता है। राहु को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। वहीं जब कमजोर स्थिति में होता है तो उसके फल नकारात्मक मिलते हैं। यहां हम राहु ग्रह की बात कर रहे हैं। राहु को अशुभ फल देने वाला ग्रह माना जाता है। लेकिन यह पूर्ण रूप से सत्य बात नहीं है। राहु कुंडली में शुभ होने पर शुभ फल भी देता है। इसके शुभ फल से व्यक्ति धनवान और राजयोग का सुख भी प्राप्त करता है।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार वैदिक ज्योतिष में केतु ग्रह को भी छाया ग्रह माना जाता है। इसे छाया ग्रह इसलिए कहा जाता है क्योंकि केतु का अपना कोई वास्तविक रूप या आकार नहीं है। लेकिन यह मोक्ष, अध्यात्म और वैराग्य का कारक है और एक रहस्यमी ग्रह है। इसलिए जब केतु किसी व्यक्ति की कुंडली में शुभ होता है तो वह उस व्यक्ति की कल्पना शक्ति को असीम कर देता है। जबकि अशुभ होने पर यह इंसान का सर्वनाश कर सकता है। केतु ग्रह किसी भी राशि का स्वामी नहीं होता है। लेकिन धनु राशि में यह उच्च और मिथुन राशि में नीच का होता है।
1.जिन जातकों की कुंडली में राहु-केतु अशुभ प्रभाव रखते हैं, उनको इससे बचने के लिए शनिदेव और भैरव भगवान की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
2. हनुमान चालीसा का पाठ करने से राहु-केतु का प्रभाव नहीं रहता, जरूरतमंद लोगों को काले कंबल और जूते-चप्पल का दान करें।
3. किसी मंदिर में पूजन सामग्री अर्पित करें, माता दुर्गा की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
4. नाग पर नाचते हुए भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए। साथ ही मंत्र (ओम नमः भगवते वासुदेवाय) का जाप करें।
Updated on:
18 May 2025 02:28 pm
Published on:
18 May 2025 02:27 pm
बड़ी खबरें
View Allधर्म/ज्योतिष
ट्रेंडिंग
