
अदरीस खान
Operation Sindoor: सिंदूर मतलब सुहागन का पर्याय। अब तो ऑपरेशन सिंदूर आतंकियों के संहार का पर्याय बन चुका है। मगर इस एक चुटकी सिंदूर से हमारा पुराना नाता है, खासकर हनुमानगढ़ का। माना जाता है कि सिंदूर का उपयोग सिंधु या हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की सभ्यता में किया जाता था। इन सभ्यता से जुड़ी साइट के उत्खनन के दौरान प्राचीन मूर्तियों पर मिली सिंदूर की मौजूदगी इसका प्रमाण है।
हड़प्पा कालीन सभ्यता की साइट हनुमानगढ़ जिले के पीलीबंगा तहसील के गांव कालीबंगा में है। जहां खुदाई में महिलाओं के शृंगार की विभिन्न वस्तुएं मिल चुकी हैं, उनको कालीबंगा संग्रहालय की गैलरी में प्रदर्शित भी किया गया है। इसके अलावा हड़प्पा कालीन सभ्यता सबसे बड़ी साइट पड़ोसी राज्य हरियाणा के राखीगढ़ी में भी नारी शृंगार की अनेक चीजें मिल चुकी हैं।
इससे यह पता चलता है कि आठ हजार साल पहले भी महिलाएं सजने संवरने के लिए कंगन, चूड़ी, अंगूठी, बिंदी आदि का उपयोग करती थी और सिंदूर लगाती थी। गौरतलब है कि सिंधु घाटी सभ्यता का पूर्व हड़प्पा काल करीब 3300 से 2500 ईसा पूर्व माना जाता है। जर्नल नेचर में प्रकाशित शोध में सिंधु घाटी सभ्यता को करीब आठ हजार साल पुराना माना गया है। भारत का इतिहास भी सिंधु घाटी सभ्यता से ही आरंभ होता है जिसे हड़प्पा सभ्यता के नाम से जानते हैं।
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कालीबंगा साइट के उत्खनन के दौरान कॉपर का शीशा, सुरमादानी, काजल रखने व लगाने की वस्तु, मिट्टी व पत्थर की मालाएं वगैरह मिल चुकी हैं। वहीं राखीगढ़ी में खुदाई के दौरान मिट्टी,तांबा व फियांस से बनीं चूडिय़ां, कंगन, मिट्टी की माथे की बिंदी, सिंदूर दानी, अंगूठी, कानों की बालियां आदि शृंगार वस्तुएं मिल चुकी हैं।
प्राचीन सभ्यता स्थल की खुदाई के दौरान जब सिंदूर दानी व सिंदूर लगाने का प्रमाण देती मूर्तियां मिली तो पुरातत्वविदों ने यह पता लगाने का प्रयास किया इसको कैसे बनाया जाता था। पता चला कि पुराने जमाने में हल्दी, फिटकिरी या चूने से सिंदूर बनाया जाता था।
Updated on:
09 May 2025 04:13 pm
Published on:
09 May 2025 02:49 pm
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