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Gen Z Nepal: पाकिस्तानी PM भुट्टो को फांसी पर चढ़ाने पर क्यों भड़क उठे थे नेपाली युवा? जोरदार विरोध के आगे राजा बीरेंद्र ने मानी हार

Nepal Gen Z Protest: नेपाल में छात्र और युवकों के प्रदर्शन आगे सत्ता को पहले भी झुकना पड़ा है। पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री भुट्टो को फांसी पर चढ़ाए जाने के बाद भी नेपाल में उबाल आया था। पूरी कहानी यहां पढ़िए।

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Nepal Gen Z protest

नेपाल में युवकों की प्रदर्शन की तस्वीर (Photo: IANS)

Gen Z Protest Nepal: नेपाल में Gen Z ने आंदोलित होकर पीएम केपी औली (Nepal Ex PM KP Sharma Oli) को सत्ता से बेदखल कर दिया और अब वहां सेना के हाथों में देश के प्रशासन की बागडोर है। वहां अं​तरिम सरकार के गठन की प्रक्रिया पर विचार-विमर्श शुरू हो गया। ऐसा नहीं है कि वहां पहली बार छात्र और युवा आंदोलित हुए हैं। आइए आपको एक किस्सा बताते हैं जब पाकिस्तान में तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो (Pakistan EX PM Zulfikar Ali Bhutto Hanged) को फांसी दी गई थी और नेपाल उबल उठा था

पाकिस्तान में पीएम को फांसी दिए जाने पर नेपाल में उबाल!

Pakistan PM Bhutto Hanged: पाकिस्तान में 4 अप्रैल 1979 में वहां के तत्कालीन प्रधानमंत्री भुट्टो को फांसी दी गई थी। इस घटना के विरोध में दो दिन बाद नेपाल की राजधानी काठमांडू में एक बड़ी और संगठित रैली आयोजित की गई थी। दिन बीतने के साथ नेपाल में छात्रों का आंदोलन (Nepal Students Movement of 1979) तेज होता चला गया। बहुत तेजी के साथ इस आंदोलन के सुर और मुद्दे भी बदल गए। 6 अप्रैल 1979 को भुट्टो की फांसी के विरोध में युवा ने विरोध, प्रदर्शन दर्ज कराया, उसी युवा आंदोलनकारियों ने तीन दिन बाद 9 अप्रैल 1979 को देश के राजा बीरेंद्र (Nepal Raja Birendra) के समक्ष 25 सूत्री मांग पेश की।

आंदोलन को कुचलने के लिए राजा बीरेंद्र ने चली थी ये चाल

हालांकि राजा बीरेंद्र ने छात्र आंदोलन की मांगो को पूरा करने में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई। बल्कि राजा बीरेंद्र ने छात्र आंदोलन को कुचलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस आंदोलन को तोड़ने के लिए पुलिस का भरपूर सहारा लिया। इसके साथ ही राजा ने छात्रों के आंदोलन में फूट डालने के लिए ‘राष्ट्रवादी स्वतंत्र विद्यार्थी मंडल’ का भी गठन कर दिया। इस संगठन को नेपाल में मंडले के नाम से भी जाना जाता है। राष्ट्रवादी स्वतंत्र विद्यार्थी मंडल के सदस्य आंदोलनरत छात्रों को विरोध से दूर करने के लिए हर हथकंडे अपनाते रहे। नेपाल सरकार द्वारा प्रायोजित विधार्थी मंडल के सदस्यों ने आंदोलनकारियों के साथ हिंसक व्यवहार को भी अंजाम देते रहे लेकिन आंदोलन की आंच और तेजी होती चली गई।

आंदोलनकारी छात्रों से हार गए राजा बीरेंद्र, चली एक नई चाल

अंतत: राजा बीरेंद्र को आंदोलनकारी छात्रों के आगे झुकना पड़ा और 23 मई को उन्होंने जनमत संग्रह कराने की घोषणा कर दी। नेपाल मामलों के विशेषज्ञ लाल बहादुर वर्मा अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखते हैं कि इस जनमत संग्रह का मकसद यह जानना था कि जनता बहुदलीय प्रणाली चाहती है या एक दलीय पंचायती व्यवस्था? 2 मई 1980 को जनमत संग्रह सम्पन्न हुआ। हालांकि सत्ता पक्ष की तरफ से कुछ ऐसी तिकड़में की गईं ताकि जनमत संग्रह का नतीजा उसके पक्ष में जाए। इस आंदोलन को इतिहास में 2036 साल का आंदोलन कहते हैं।

राजा बीरेंद्र और पूरे शाही खानदान की कर दी गई हत्या

Raja Birendra Death: राजा बीरेंद्र, उनकी पत्नी रानी ऐश्वर्या और उनके एक बच्चे दीपेंद्र को छोड़कर सभी बच्चों समेत शाही परिवार के सभी सदस्यों की 1 जून 2001 को हत्या (Nepal Raja Birendra Mudered) कर दी गई थी। इस घटना को नेपाली शाही नरसंहार के नाम से इतिहास में दर्ज किया गया।

नेपाल में क्यों हो रहा है बार-बार आंदोलन

वर्ष 2008 में नेपाल में गणतंत्र की स्थापना हुई लेकिन सरकार में बैठे लोगों ने जनता की उम्मीदों पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया। आम लोगों के तकलीफ कम होने की बजाय और बढ़ती चली गई। नेपाल में बेरोजगारी और महंगाई बढ़ती चली गई। देश से काम की तलाश में युवा और युवतियां पड़ोसी देशों में परिवार से दूर होकर रोजीरोटी के लिए धक्का खाते रहे। इससे जनता में असंतोष में फैलता चला गया और अब नतीजा Gen Z Protest के तौर पर दुनिया के सामने है।

#NepalProtestमें अब तक