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Ahmedabad Plane Crash: अमेरिकी एजेंसी कर रही है हादसे की जांच, जांचकर्ता ने बताई अहम बातें

Ahmedabad Air India Plane Crash: अहमदाबाद विमान हादसे की जांच एक अमेरिकी एजेंसी कर रही है। जांच एजेंसी ने इस दौरान विमान हादसे से जुडी वीडियो फुटेज के बारे में खुलासा किया।

Debris of Ahmedabad Plane Crash
Debris of Ahmedabad Plane Crash

अहमदाबाद विमान हादसे (Ahmedabad Plane Crash) में 279 लोगों की मौत से पूरा देश स्तब्ध है। एयर इंडिया (Air India) के इस विमान के क्रैश होने से विमान में सवार 242 लोगों में से 241 लोगों ने अपनी जान गंवा दी और जिस मेडिकल हॉस्टल से विमान की टक्कर हुई, उसके 38 लोगों की भी इस हादसे में मौत हो गई। विमान में सवार एक शख्स ही इस हादसे में ज़िंदा बचा है, जिसका अस्पताल में इलाज चल रहा है। इस हादसे की जांच के लिए एक अमेरिकी जांच एजेंसी, अहमदाबाद आई है।

अमेरिका की जांच एजेंसी को क्यों बुलाया गया?

चूंकि विमान अमेरिका की बोइंग कंपनी का है, इसलिए जांच के लिए अमेरिकी कंपनी को बुलाया गया है। जिस विमान के साथ दुर्घटना हुई है, वो बोइंग ड्रीमलाइनर 787-8 था। इसके क्रैश की जांच के लिए अमेरिका की एजेंसी नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड - (National Transportation Safety Board - NTSB) को बुलाया गया है।

ग्रेग फीथ ने हादसे की जांच के बारे में बताई अहम बातें

नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड के 67 वर्षीय ग्रेग फीथ (Greg Feith), जांच एजेंसी के पूर्व वरिष्ठ हवाई सुरक्षा अन्वेषक हैं, जो जांच करने आई टीम के साथ आए हैं। ग्रेग को इस तरह के मामलों की जांच का लंबा अनुभव है। इस मामले की जांच के बारे में बात करते हुए ग्रेग ने कई अहम बातें बताई।

ग्रेग ने बताया कि हादसे की वीडियो फुटेज देखने को बाद मन में सबसे पहला सवाल यह आता है कि क्या विमान को टेकऑफ के लिए ठीक से कॉन्फिगर किया गया था? टेकऑफ के दौरान जब विमान भारी और धीमा होता है, तब उसे अतिरिक्त लिफ्ट की ज़रूरत होती है, जिसे ट्रेलिंग-एज फ्लैप्स कहते हैं, को तैनात करके प्राप्त किया जाता है। अगर सही फ्लैप सेटिंग का इस्तेमाल नहीं किया गया था, तो हो सकता है कि पंख कम गति पर विमान के वज़न को सहारा देने के लिए पर्याप्त लिफ्ट का उत्पादन न करें। इसलिए पूरी तरह से काम करने वाले इंजन के साथ भी अगर पंखों को पर्याप्त लिफ्ट देने के लिए ठीक से आकार नहीं दिया जाता है, तो विमान मुड़ सकता है या ज़मीन में धंस सकता है। ग्रेग के अनुसार इस वीडियो में एक और बात ध्यान देने योग्य है कि फ्लैप ऊपर या न्यूनतम सेटिंग पर दिखाई देते हैं, जो टेकऑफ के लिए सामान्य नहीं होता।

ग्रेग ने यह भी कहा कि 600 फीट की ऊंचाई पर, लैंडिंग गियर को ऊपर या पीछे की ओर होना चाहिए था। तो सवाल यह भी है कि ऐसा क्यों नहीं हुआ? क्या यह हाइड्रोलिक समस्या थी या विद्युत समस्या? लैंडिंग गियर हाइड्रोलिक रूप से अपनी जगह पर रखा जाता है और वापस खींचा जाता है, जबकि फ्लैप विद्युत रूप से संचालित होते हैं। तो इतनी कम ऊंचाई पर ये सिस्टम अनुचित स्थिति में क्यों थे?

वीडियो देखने पर पता चलता है कि विमान का पिच एटीट्यूड, जिसमें विमान की नोज़ ऊपर की ओर है, विमान के ऊपर उठने के लिए सामान्य दिखाई देता है, फिर भी विमान ऊपर उठने की जगह नीचे की ओर चले जाता है। यह दोनों इंजनों से अपर्याप्त पावर मिलने का संकेत हो सकता है।

एक और महत्वपूर्ण सवाल यह होगा कि क्या इंजन उचित थ्रस्ट जनरेट कर कर रहे थे? हादसे के दिन बहुत गर्मी भी थी जो इंजन के साथ विमान को भी महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है। यदि चालक दल ने उच्च तापमान को ध्यान में नहीं रखा या सही थ्रस्ट सेट नहीं किया था, तो इंजन ने विमान को उड़ान भरने के बाद हवा में रखने के लिए पर्याप्त पावर जनरेट नहीं की होगी। जांच के दौरान चालक दल की प्रक्रियाओं की जांच की जाएगी और देखा जाएगा कि विमान को उड़ान भरने के लिए कैसे तैयार किया गया था, खासकर यह देखते हुए कि विमान में 242 लोग सवार थे और संभवतः पर्याप्त ईंधन भी था।

पिच एटीट्यूड और इस तथ्य के आधार पर कि फ्लैप नीचे की स्थिति में नहीं दिख रहे हैं, यह संभव है कि पायलट विमान को ऊपर उठाने का एटीट्यूड बनाए हुए थे, लेकिन विमान को वास्तव में ऊंचाई हासिल करने के लिए पर्याप्त थ्रस्ट नहीं था। यह देखते हुए कि वो कितने कम थे, वो उस एटीट्यूड को बनाए रखते हुए विमान को उड़ान भरने की कोशिश कर रहे होंगे और अनिवार्य रूप से इसे जितना संभव हो सके आगे की ओर ग्लाइड करने की कोशिश कर रहे होंगे। यदि थ्रस्ट अपर्याप्त था, तो यह ईंधन की समस्या के कारण इंजन रोलबैक या फ्लेमआउट पूरी तरह से बंद होने के कारण हो सकता है।


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